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Uski Masrufiyat Mera Intzaar

सब उसकी., मसरूफियत में शामिल हैं...!! बस एक ., मुझ  बे-ज़रूरी के सिवा.....!! #Uski Masrufiyat 

घिर के आईं - Yaad Shayari

Yaad Shayari, Mosam Shayari, Bahana Shayari,

घिर के आईं हैं याद की बदरी
आज मौसम रुलाएगा शायद
साथ रहकर भी हम न मिल पाए
हिज्र हमको मिलाएगा शायद।
आज भी वक़्त पर न आया ,वो
फिर बहाना बनाएगा शायद।

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