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Uski Masrufiyat Mera Intzaar

सब उसकी., मसरूफियत में शामिल हैं...!! बस एक ., मुझ  बे-ज़रूरी के सिवा.....!! #Uski Masrufiyat 

इंसानियत का फ़र्ज़

इंसानियत, फ़र्ज़ , बरबादी पर बेहतरीन शायरी। Insaniyat, farz, barbadi par shayari in hindi

इंसानियत का फ़र्ज़ लोग अब यूं निभाते हैं
डूबते  हुए   इंसान  की  वीडियो  बनाते  हैं
 सोगवार हो जातें हैं दूसरों   की तरक्की पे
बरबादी  पर    उनकी     जश्न   मनाते   हैं
पड़ोसी के  घर आई  बड़ी गाड़ी  को  देख
रातें    कितनी   आंखों    में    बितातें    हैं
दूसरों   का   हक़  मार  लेने  की  खुशी में
मंदिरों    में    जाकर   प्रसाद    चड़ातें   हैं
अपने   सगे  के   गरीब    हो    जाने    पर
दूर  का उसे   कोई    रिश्तेदार    बतातें  हैं
रिश्वत    लेते    हुए     पकड़े    गए   लोग
दे के   रिश्वत   अक्सर       छूट   जातें   है
घपलेबाजों  को शर्मिंदा  करने  की बजाए
लोग     उनसे      उद्घघाटन   करवाते   हैं
मयखानों में जा के जो हजारों उड़ा  देतें हैं
सब्जी  वाले   से    पांच    पांच  बचातें  हैं
ज़माने   के   रंग   ढंग     देख   कर  ' राज '
अब तो यह   सर   शर्म   से  झुक  जातें  हैं

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