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Uski Masrufiyat Mera Intzaar

सब उसकी., मसरूफियत में शामिल हैं...!! बस एक ., मुझ  बे-ज़रूरी के सिवा.....!! #Uski Masrufiyat 

उतर गया - Mukamal Ishq Shayari

 Mukamal Ishq Shayari

उतर गया जो समंदर में वही लाता है
 मोती, साहिल पे खड़े होके कौन पाता है
हिचकियाँ इतनी सुबह से ही आज उठने लगी
 लगता है मेरी गज़ल कोई गुनगुनाता है
ख्याल ऐसा भी अगर आये जिसमें तुम न हो
 देर तक दिल ये हमारा तो तड़प जाता है
ये जो रिश्तों की फजीहत है बस यहीं तक है
 इसके आगे का सनम तुमसे मेरा नाता है
जो भी करना है इसी पल में मुकम्मल कर ले
 लौटके वक्त नही वापिस कभी आता है..

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