किसी की आँख से
किसी की आँख से सपने चुरा कर कुछ नहीं मिलता
मंदिरों से चिरागों को बुझा कर कुछ नहीं मिलता
कोई एक आधा सपना हो तो फिर अच्छा भी लगता है
हजारों ख्वाब आँखों मैं सजा कर कुछ नहीं मिलता
मंदिरों से चिरागों को बुझा कर कुछ नहीं मिलता
कोई एक आधा सपना हो तो फिर अच्छा भी लगता है
हजारों ख्वाब आँखों मैं सजा कर कुछ नहीं मिलता
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