उसको याद नही..
एक शकश ने उसको चाहा था,
वो बात भी उसको याद नही..
जब शाम को बिजली चमकी थी,
और बादल टूट के बरसा था..
हम दोनो जिस मे भीगे थे,
वो बरसात भी उसको याद नही..
वो साहिल दरिया फुल हवा,
और वादा साथ निभाने का..
और रात भर चाँद को देखा था,
वो रात भी उसको याद नही..
वो कहती थी मैं सुनता था,
मैं कहता था वो सुनती थी..
उन लाखो बातों मे कोई...
इक बात भी उसको याद नही..
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