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हैप्पी लोहड़ी शायरी 2024 - Happy Lohri Shayari 2024

इस लोहड़ी पर सबसे प्यारी शायरी से दें अपनों को हार्दिक शुभकामनाएं लोहड़ी पर्व भारत में प्रसिद्ध है और पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व मकर संक्रांति के पूर्व शाम को मनाया जाता है, जब सूर्य अपने उत्तरायण में प्रवेश करता है। इसे अग्नि का पर्व भी कहा जाता है, जिसमें लोग आग के आसपास इकट्ठा होते हैं , नाचते-गाते हैं और रात भर जलती हुई आग के आसपास मिलकर खाने-पीने का आनंद लेते हैं। इस त्योहार का महत्व है फसलों की फसल को समर्पित करना और धन की बरक्कत के लिए धन्यवाद देना। The Lohri festival is celebrated with great enthusiasm in Punjab, Haryana, Himachal Pradesh, and Delhi in India. This festival is observed on the eve of Makar Sankranti when the sun enters its northward journey. Also known as the festival of fire, people gather around bonfires, sing and dance, and enjoy food and drinks throughout the night. The significance of this festival lies in dedicating it to the harvest of crops and expressing gratitude for the blessings of wealth. इस से पहले क

मिलजुल कर क्यों न रहें

motivation story
एक घना जंगल था।
उसमें कई भैंसों के परिवार रहते थे।
आक्रमणकारी सिंह एक ही था।

वह जब चाहता हमला करता ओर किसी भी मोटे दुबले भैंस को चट कर जाता।
झुण्ड के अन्य सदस्य घबराकर सिर पर पैर रखकर जिधर-तिधर भागते।

एक दिन एक बूढ़े भैंस ने सजातियों के सभी परिवारों को एकत्रित किया और कहा मरना है तो बहादुरी से क्यों न मरें। रहना है तो मिलजुल कर क्यों न रहें।
बात सभी की अच्छी लगी और वे उसके कहने से चलने को सहमत हो गए।

दूसरे दिन तगड़े तगड़े भैंसों ने एक दल गठित किया और योजना बनी कि आक्रमण की प्रतीक्षा न करके शेर की माँद पर चला जाय और वहाँ उस पर हमला बोल दिया जाय। नई।

योजना नई हिम्मत और नई आशा से तगड़े भैंसों के हौसले बहुत बढ़ गये थे।
सो वे बहादुरी के साथ चले ओर माँद में सीधे शेर पर बिजली की तरह टूट पड़े।

शेर को ऐसी मुसीबत का सामना इससे पहले कभी भी नहीं करना पड़ा था।
वह घबड़ा गया और जान बचाकर इतनी तेजी से भाग कि यह देख तक न सका कि हमला करने वाले कौन है और कितने हैं?

भयाक्रान्त शेर ने उस जंगल में भूतों का निवास माना ओर फिर कभी उधर न लोटने का निश्चय करके दूरस्थ बन में अपना डेरा डाला।

भैंसों के परिवार निश्चिन्तता पूर्वक रहने ओर बन बिहार का आनन्द लेने लगे।

"आधुनिक समाज में हमारी हालत भी इन भैंसों की तरह ही है जिन्हे कोई भी शेर रुपी अपराधी दिन दहाड़े हमें प्रताड़ित करता है और हमारे मनोबल को तोड़ देता है और हमें बेबस कर देता है।"

आईये हम सब भैंसों की तरह ही एक होकर इन तत्वों का मुकाबला करें और इन्हे समाज से उखाड़ फेंकें।

Comments

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