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Uski Masrufiyat Mera Intzaar

सब उसकी., मसरूफियत में शामिल हैं...!! बस एक ., मुझ  बे-ज़रूरी के सिवा.....!! #Uski Masrufiyat 

थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान

Hindi Shayari - Thodi Masti Thoda Imman
थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ।
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ।
मैंने सिर्फ़ उसूलों के बारे में सोचा भर था,
कितनी मुश्किल से मैं अपनी जान बचा पाया हूँ।
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें,
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ।
मुझमें शायद थोड़ा-सा आकाश कहीं पर होगा,
मैं जो घर के खिड़की रोशनदान बचा पाया हूँ।
इसकी कीमत क्या समझेंगे ये सब दुनिया वाले,
अपने भीतर मैं जो इक इंसान बचा पाया हूँ।

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